हिमालयी वायग्रा कीड़ा जड़ी Himalaya viyagra keeda jadi

हिमालयी वायग्रा कीड़ा जड़ी Himalaya viyagra keeda jadi

हिमालयी वायग्रा कीड़ा जड़ी Himalaya viyagra kida jadi

हिमालयी वायग्रा कीड़ा जड़ी  नपुंसकता और कैंसर समेत कई बीमारियों में असरदार, सोने से भी महंगी

हिमालय में एक नायाब जड़ी पाई जाती है जिसको कीड़ा जड़ी के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे कैटरपिलर फंगस और तिब्बती में यारशागुंबा कहते हैं। कैंसर और नपुंसकता समेत यह कई बीमारियों के इलाज में काफी असरदार है। आइए आज इसके बारे में कुछ खास बातें जानते हैं…

कीड़ा जड़ी नाम क्यों?

यह एक तरह का जंगली मशरूम है जो हैपिलस फैब्रिकस नाम के एक कीड़े के ऊपर उगता है। पीले-भूरे रंग की इस जड़ी का आधा हिस्सा कीड़ा और आधा हिस्सा जड़ी जैसा नजर आता है, इसलिए इसे कीड़ा जड़ी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम कॉर्डिसेप्स साइनेसिस है।

उत्तराखंड में कई परिवारों के लिए आजीविका का साधन

कीड़ा जड़ी हिमालय में समुद्र तल से 3,500 से लेकर 5,000 मीटर तक की ऊंचाई पर मिलती है। उत्तराखंड में कुमाऊं के धारचुला और गढ़वाल के चमोली में कई परिवारों के लिए यह आजीविका का साधन है। वह इन जड़ी को इकट्ठा करके बेचते हैं। भारत के उत्तराखंड के अलावा यह जड़ी चीन, नेपाल और भूटान के हिमालयी क्षेत्रों में भी मिलती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह जड़ी करीब 18 लाख रुपये किलो बिकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी भारी मांग को देखते हुए इसकी तस्करी भी होती है।

कई बीमारियों में असरदार

कीड़ा जड़ी का इस्तेमाल प्राकृतिक स्टीरॉयड की तरह किया जाता है। यौन शक्ति बढ़ाने में यह जड़ी काफी असरदार है। इसी वजह से इसे हिमालयी वायग्रा के नाम से जाना जाता है। जहां अंग्रेजी वायग्रा के इस्तेमाल से दिल को कमजोर होने का खतरा रहता है, वहीं इस जड़ी के इस्तेमाल से स्वास्थ्य पर कोई खराब असर नहीं पड़ता है। कैंसर जैसी बीमारी के इलाज में भी इस जड़ी को काफी असरदार माना जाता है। आयुर्वेद के मुताबिक, सांस और गुर्दे की बीमारी को सही करने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही यह जड़ी शरीर में रोगरोधी क्षमता को भी बढ़ाती है।

पैदावार में हो रही गिरावट

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले कीड़ा जड़ी की पैदावार फसल की तरह होती थी। बहुत कम लोग उस समय इस जड़ी की तलाश में होते थे और एक आदमी को कम से कम 50 से 250 जड़ियां मिल जाया करती थीं। लेकिन अब कई कारणों से इसकी पैदावार में काफी गिरावट आई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल में एक व्यक्ति को 2006 में 250 के करीब जड़ी मिल जाती थी लेकिन अब मुश्किल से 125 के करीब मिलती है। चीन में तो 1978 से 2001 तक इसकी पैदावार में 70 फीसदी की गिरावट आ गई है।

पैदावार में गिरावट का कारण

इसकी पैदावार में गिरावट का एक कारण वनस्पति का धीरे-धीरे नष्ट होना है। कैटरपिलर जिस पेड़-पौधे का सेवन करते थे, उसके न होने से कैटरपिलर की आबादी में 14.8 फीसदी की गिरावट आई है। लोगों का कहना है कि हिमपात और कॉर्डिसेप्स की पैदावार में गहरा संबंध है। बर्फ के बीच कीड़ा जड़ी काफी फलती-फूलती है। करीब 15 साल पहले तक इस क्षेत्र में बर्फ की परत करीब 20 से 25 फीट मोटी होती थी जो अब महज 10 से 15 फीट रह गई है।

हिमालयी वायग्रा कीड़ा जड़ी कीमत

इस फंगस की कीमत तकरीबन 8से10 लाख रुपये प्रति किलोग्राम है। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में इस बूटी की कीमत करीब ₹60लाख तक है । यह दुर्लभ औषधि वर्षों से दुनिया के तस्करों की मुट्ठी में है। यह एक तरह की फफूंद है जो हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों में पाई जाती है। यह एक कीड़े पर हमला करती है और उसे चारों तरफ से अपने आप में लपेट लेती है । यह जड़ी पहाड़ों के लगभग 3500 मीटर की ऊंचाई वाले इलाकों में पाई जाती है । मई से जुलाई तक जब बर्फ पिघलती है तो इसके पनपने का चक्र शुरू होता है । इस जड़ी की उपयोगिता को देखकर कई स्थानीय लोग इसका दोहन और तस्करी करते हैं । क्योंकि चीन में इसकी मुंह मांगी कीमत मिलती है। यह एक नर्म घास के बिल्कुल अंदर छिपी होती है और बड़ी कठिनाई से ही से पहचाना जा सकता है

उपयोग

चीन में इसका इस्तेमाल प्राकृतिक स्टेरॉयड की तरह किया जाता है।शक्ति बढ़ाने में इसकी करामाती क्षमता के कारण खिलाड़ियों को खासकर एथलीटों को दी जाती है ।

इस फंगस में प्रोटीन पेप्टाइड्स अमीनो एसिड विटामिन b1 B2 और B12 से पोषक तत्व पाए जाते हैं । यह तत्काल रुप में ताकत देते हैं और डोपिंग टेस्ट में यह पकड़े नहीं जाते चीन तिब्बती परंपरागत चिकित्सा पद्धति में इसके और भी उपयोग है।

फेफड़ों और किडनी के इलाज में

फेफड़ों और किडनी के इलाज में इसे जीवन रक्षक दवा माना गया है ।

हिमालय वायग्रा या यार्सागुंबा के नाम से जानी जाने वाली कीड़ा जड़ी अपने कामोद्दीपक गुणों के कारण मशहूर है।

इसके अलावा इसके अन्य स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं यह रक्त में ग्लूकोज का मेटाबॉलिज्म संतुलित करता है और इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाता है। यह रक्त में शक्कर की मात्रा को कम करके रक्त शर्करा नियंत्रित रखता है।

कफ ब्रोंकाइटिस अस्थमा

स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए भी कीड़ा जड़ी अत्यधिक फायदेमंद है । कफ ब्रोंकाइटिस अस्थमा आदि समस्याओं में बहुत लाभदायक होता है । चीन में से अस्थमा के इलाज के रूप में भी दिया जाता है।

यह सेल्स तक अधिक ऑक्सीजन का विस्तार करता है और सहनशीलता बढ़ाता है।

यह पुरुष और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता बढ़ाता है यह शुक्राणु की संख्या में वृद्धि करने में सहायक है । इसे नपुंसकता रात के उत्सर्जन ,रात में पसीना और कमर दर्द के इलाज के लिए भी दिया जाता है।

हिमालयी वायग्रा कीड़ा जड़ी

अमीनो एसिड की उपस्थिति के कारण इसमें शामक और कृत्रिम गतिविधि होती है। कीड़ा जड़ी को निश्चित खुराक में बहुत सुरक्षित माना जाता है । यह केवल वयस्कों के द्वारा उपयोग किया जाना चाहिए ।

यह एंटीकोगुलेटेड दवाओं, रक्त को पतली करने वाली दवाओं, अस्थमा इनहेलर ,इम्यूनोसपरेसेंट दवाओं ,लुपस ,सोरायसिस रूमेटाइड गठिया आदि के लिए दवाओं के साथ काम कर सकता है ।

ट्यूमर की गतिविधियों को भी रोकता है रात में नींद की समस्याएं नियंत्रित करता है।

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