शायरी

हम तो अपने दुश्मन को भी ऐसी सजा देते हैं वार करते नहीं नजरों से गिरा देते हैं।

कौन कहता है आसमान में छेद नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों।