नमक
इस नमक का निर्माण समुद्र के पानी तथा सांभर झील के जल से किया जाता है। नमक का एक नाम सांभर भी है। मानव जीवन में नमक का महत्व सेवा भाव तथा स्वामी भक्ति से भी लिया जाता है। आज भी यह कहावत अपनी जगह तथ्य अपूर्ण है -“मैंने आपका नमक खाया है इसलिए आपको धोखा नहीं दूंगा।” वैज्ञानिक खोजों से पता चलता है। कि आज से कुछ शताब्दियों पूर्व नमक बहुत कम मात्रा में बनता था। अतः राजा-महाराजा तथा सेठ -साहूकार ही नमक का प्रयोग किया करते थे। साधारण आदमी को तो नमक देखने तक को नहीं मिलता था। इसी कारण यदि कोई व्यक्ति किसी के यहां नमक बड़ी वस्तु खा लेता था, तो वह उसके नमक का हक अदा करने के लिए अपने प्राण तक उस पर न्योछावर कर देता था।
इसके अतिरिक्त नमक गरीब का घी है। गरीब आदमी घी-मक्खन से चुपड़ी रोटी ना खाकर नमक और प्याज से खाकर अपना पेट भर लेता है। इस बात को हम इस रूप में कह सकते हैं कि नमक करोड़ों मजदूरों का प्राण भी है।
वैसे तो शहर में नमक को “नमक” कहा जाता है। लेकिन गांव में इसे लोग नॉन ,सांभर आदि नामों से पुकारते हैं। हमारे देश में अधिकतर नमक समुद्र के पानी से बनाया गया ही काम में लाया जाता है। इसके साथ सांभर झील का नमक भी अच्छा माना जाता है।
चलिए नमक के प्राकृतिक गुण जानते हैं।
दूसरे दूसरे प्रकार का नमक सेंधा नमक है। आज कल सेंधा नमक की खान पाकिस्तान में है इसे हम लाहौरी नमक भी कहते हैं, क्योंकि किसी समय में लाहौर प्रांत का नमक दूर-दूर तक बिकने के लिए जाया करता था। आजकल मिलावटी सेंधा नमक का प्रचलन अधिक हो गया है। वैसे साधारण नमक की तुलना में यह अधिक शुद्ध होता है। नमक का एक नाम लवण भी है। इस प्रकार “काला नमक”भी तैयार किया जाता है। जो औषधियों तथा चूर्ण में आदि में अधिक प्रयोग किया जाता है। अंग्रेजी में यह “साल्ट” तथा “एप्स म साल्ट” कहलाता है। छार नमक, खारा नमक तथा लोन भी साधारण क्रिया द्वारा तैयार किए जाते हैं। लोंध, घोंघा, मूंगा, मोती, सीप आदि की भी भसमे रसायनिक क्रिया द्वारा तैयार की जाती हैं जिन्हें खनिज लवण की श्रेणी में रखा जाता है। छारीय (खारा नमक) देसी विदेशी दबाव में मिलाया जाता है।
नमक में सोडियम कैलशियम क्लोरीन फास्फोरस लोह तत्व मैग्नीज पोटेशियम गंधक आयोडीन मैग्नीशियम अधिक अथवा किसी न किसी रूप में विद्यमान रहते हैं दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि खाद्य पदार्थों में नमक के तत्व मिलते हैं जिनकी शक्ति से ही मनुष्य का स्वास्थ्य बना रहता है जब इन तत्वों की मनुष्य के शरीर में कमी हो जाती है तो वह किसी ना किसी रोग से ग्रसित हो जाता है।
सोडियम चलिए जानते हैं सोडियम का महत्व।
यह एक ऐसा तत्व है। जो टमाटर में अधिक मात्रा में पाया जाता है। लेकिन यह लवण नमक का एक सार तत्व है इसलिए इसकी पूर्ति टमाटर खाने से हो जाती है इस तत्व की सहायता से ही नमक शरीर में खुलता है इसकी शक्ति से खून में यदि तेजाब की मात्रा बढ़ जाती है तो वह भी बाहर निकल जाती है तथा अपने भाइयों के रूप में दूषित गैस पहाड़ निकलती रहती है सूर्य मनुष्य के शरीर में चुस्ती फुर्ती बनाए रहता है इसके कारण मनुष्य के कानों में सुनने की शक्ति स्थिर बनी रहती है शरीर में सोडियम की उचित मात्रा बने रहने से बुढ़ापे में आंखों में मोतियाबिंद नहीं बनता यह मांसपेशियों को बल प्रदान करता है तथा आमाशय और गुर्दे को स्वस्थ रखता है इसकी एक विशेष बात यह है कि शरीर में कैल्शियम तथा आयरन जैसे तत्वों को घुलनशील बनाकर रक्त में घोलता है जिसकी वजह से शरीर को मधुमेह जैसी बीमारी नहीं होती है।
Calcium चलिए अब कैल्शियम के बारे में जानते हैं।
साधारण बोलचाल की भाषा में इसे चूना कहते हैं। यह एक ऐसा तत्व है। जो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अनेक छोटे-मोटे कार्य करता है। यह हमारे शरीर की हड्डियों के ढांचे को मजबूत बनाए रखता है। यदि देखा जाए तो हमारे शरीर की अस्थियों का निर्माण चूने से ही किया जाता है। जैसे पत्थर जलने तथा पकने के बाद चूने के रूप में बदल जाता है, उसी प्रकार अस्थियां भी जलकर चूना ही बन जाती हैं। हमारे पूर्वजों ने इस तत्व के गुण को हजारों वर्ष पूर्व ही जान लिया था। इसलिए शरीर की दाह-संस्कार करने के बाद अस्थियों को गंगा के पानी में बहाने की प्रथा चलाई थी। क्योंकि अस्थियां कैल्शियम के रूप में बदल जाती हैं। अतः गंगा में डालने से वे जल को शुद्ध बनाए रखेंगी। हिंदुओं में आज भी यह प्रथा चलन में है। भारत धर्म प्रधान देश है। यहां के बच्चे – बच्चे को धर्म की घुट्टी पिलाई जाती है इसलिए इस महत्वपूर्ण तथ्य को धर्म के साथ जोड़ दिया गया है। क्योंकि धर्म सदैव जीवित रहता है।
मां के दूध में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। इसलिए बच्चों की हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए मां का दूध अति आवश्यक होता है। बच्चे के दांत भी इसी तत्वों से बनते हैं। फेफड़ों में सांस की उठापटक कैल्शियम की शक्ति से होती है। जीन लोगों के शरीर में इस तत्व की कमी हो जाती है। उनको खांसी, तपेदिक, दमा आदि रोग घेर लेते हैं। इसलिए कहा जाता है कि चैन की सांस लेने के लिए चुना खाओ।
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